भगवत गीता यानि भगवान श्री कृष्ण के मुखार बिंद से निकली एक ऐसी वाणी और उस वाणी को शब्दों में ढालकर बनाया गया एक ऐसा ग्रन्थ जिसको गीता शास्त्र के नाम से जानते है , यह शास्त्र महाभारत के युद्घ के समय जब अर्जुन ने अपने भाई बांधवों ( कोरवो) के साथ युद्घ करने से मना कर दिया था ,तब भगवन श्री कृष्ण ने अर्जुन को तत्व ज्ञान का उपदेश दिया था , उसके फलसवरूप महारथी अर्जुन ने उस ज्ञान की प्राप्ति के पश्चात महाभारत का युद्घ किया , और युद्घ में विजय पाई ,
कहते है जो कर्मशील प्राणी इस गीता शास्त्र को पढने के साथ साथ अच्छे कर्म भी करता है , उस प्राणी को शोक ,भय के साथ पुनर्जन्म के पापो से भी मुक्ति मिल जाती है
Monday, October 26, 2009
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